Wednesday, December 10, 2008

अंकल ने मजा किया

ये कहानी आज से करीब ४ साल पुरानी है। ये स्टोरी मेरे अंकल की है, जो कि मेरे घर के पास ही रहते थे। मेरी उमर २३ और अंकल की उमर ३३ है। वो मेरे रियल अंकल नहीं थे सिर्फ़ मेरी फ़ैमिली को जानते थे इसलिये मैं उन्हे अंकल कहता था। हम एक दोस्त की तरह थे। हम एक साथ बी ऍफ़ देखते थे। उनका घर और हमारा घर एक ही दीवार से बना हुआ था। मेरा रूम, अंकल के रूम के ठीक बगल वाला था। उनके और मेरे रूम के बीच एक खिड़की थी। अंकल एक गर्ल्स स्कूल टीचर थे। उनके पास कई गर्ल्स टूशन के लिये आती थी। उनके पास ७-९ लड़कियां आती थी, उनमे से एक लड़की, नेहा थी। जो कि बहुत दूर से टूशन के लिये आती थी। एक दिन तेज बारिश हो रही थी सब लड़कियां अपने-अपने घर चली गईं। नेहा भी उनके साथ घर जाने के लिये निकली, पर बारिश बहुत हो रही थी इस लिये वो बापस घर में आ गई उसके कपड़े पूरी तरह भीग गये थे। उसे देख कर अंकल ने कहा कि बारिश रुकने के बाद चली जाना। उसने कहा ठीक है।
फिर अंकल ने उससे कहा कि तुम कपड़े चेंज कर लो। पर अंकल के पास उसके साइज़ के लड़कियों के कपड़े नहीं थे। तो अंकल ने उसे अपनी लुंगी दी और कहा कि "लुंगी को लपेट लो और मैं चाय बना लाता हूं। और अंकल किचन में चले गये। नेहा कमरे में टीवी देख रही थी। उसने लुंगी के नीचे कुछ नही पहना था। वो एकदम नंगी थी। उसके छोटे-छोटे 'दूध' लुंगी के ऊपेर से साफ़ दिख रहे थे। टीवी पर 'ऐड्स ' के बारे में जानकारी आ रही थी। नेहा ने ये सब पहले नहीं देखा था वो ये सब ध्यान से देखने लगी थी और उसे जोश आने लगा था वो अपने दूधों को हाथ से सहलाने लगी। इतने में अंकल चाय लेके आ गये।
उन्होने नेहा को देखा तो उनका ९" लम्बा लंड तनकर लोहे की रोड की तरह कड़ा हो गया। और लुंगी से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा तो अंकल ने लुंगी के अंदर से ही अपनी चड्ढी उतार दी तो उनका लंड से उनकी लुंगी टेंट की तरह तन गई वो चाय लेके नेहा की तरफ़ गये तो नेहा ने पूछा सर आपकी लुंगी को क्या हो गया है। तो अंकल ने कहा कुछ नहीं। किसी को कम कपड़े में देखने पर ऐसा हो जाता है। ये कहते हुए अंकल ने उसकी लुंगी खींच दी और वो पूरी नंगी हो गई उसने कहा ये क्या कर रहे हो सर। कुछ नहीं वही जो तुम अभी कर रही थी। और अगर किसी से कहा तो एकज़ाम में फ़ैल कर दूंगा। तो वो डर गई और चुप हो गई।
अंकल उसके दूध दबाने लगे अब उसे थोड़ा-२ कुछ हो रहा था। वो सिसकारियां लेने लगी थी और अंकल का लंड अपने हाथ से पकड़ के सहला रही थी। अंकल उसकी चूत पे हाथ घुमा रहे थे। फिर उसकी चूत चाटने लगे उसके मुंह से आह्हह्हह्हह्हह्हह्ह इस्सस्सस्सस्सस्सस म्माज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ाआअ आआयययस जैसी अजीब सी आवाजें आ रही थी। अब अंकल ने उससे कहा कि वो उनका लंड अपने मुंह में लेके चूसे तो वो मना करने लगी। तब अंकल ने उसके बाल पकड़े और उसे नीचे बैठा दिया और अपना लंड उसके मुंह मुंह में घुसा दिया और अपनी कमर को धीरे से झटका देने लगे। और अपना ९'' लंड उसके मुंह में डाल दिया। वो अंकल के लंड को चाटने लगी। अब दोनो ६९ की पोजिशन में हो गये। अब नेहा को मजा आने लगा था और वो लंड को जोर जोर से मुंह में अन्दर बाहर करने लगी। अंकल उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर हिला रहे थे। १५ मिनट बाद अंकल ने अपना पानी उसके मुंह में निकाल दिया। तो नेहा ने उल्टी कर दी। और कहा कि आपने अपना लंड, मेरी चूत में तो डाला ही नहीं। अब मुझे मज़ा कैसे आयेगा। क्योंकि अब अंकल का लंड खड़ा नहीं हो रहा था। तो अंकल ने कहा तू परेशान मत हो मैं अभी आया। कह कर वो कपड़े पहन के मेरे पास आये। और मुझे सब कुछ बता दिया।
मैं चलने के लिये तैयार हो गया। मैं उनके घर पहुंचा। तो मैने नेहा को नंगा देखा तो मेरा लंड तुरन्त लोहे की तरह हो गया मैने अपने कपड़े उतार दिये और अपना ७" का लंड उसके मुंह में देने लगा तो वो कहने लगी कि तुम भी सर की तरह अपना पानी मेरे मुंह में तो नहीं निकालोगे? मैने कहा नहीं निकालूँगा तो वो मेरा लंड चाटने लगी मेरे लंड की टोपी एकदम लाल हो गई मैने अपना लंड उसके मुंह से निकाला और उसे बेड पर पटक दिया। उसकी दोनो टांगों को फ़ैला कर उसके पैरों के बीच में आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का मारने लगा पर लंड चूत में अंदर नहीं जा रहा था।
मैने अंकल से कहा थोड़ा तेल लेकर आओ। वो तेल लेके आये तो मैने अपना पूरा लंड तेल से तर कर लिया और उसकी चूत को भी नहला दिया। मैं अपना लंड चूत पर रख के रगड़ने लगा तभी अंकल ने पीछे से जोरदार धक्का दिया तो मेरा पूरा ७" का लंड एक ही बार में नेहा की कुंवारी चूत में घुस गया। नेहा बहुत जोर से चिल्लाई आऐइएएएईस्सस्स तो मैने लंड बाहर निकाल कर एक जोरदार झटका मारा और दोबारा पूरा लंड चूत में डाल कर चोदने लगा। नेहा भी नीचे से उछल-२ कर चुदवा रही थी। उसकी चूत खून से तर हो गई थी। वो उस दिन ८ बार झड़ी थी

जीजाजी, दीदी और मैं

बेटी को धन की सुख देने के लिए मेरी बाप ने मेरी शादी एक ५० बरस के मर्द के साथ कर दी. मेरे पति की मुझसे उनकी दूसरी शादी थी. पहली की मौत हो चुकी थी. उनका एक लड़की थी जिसकी शादी हो चुकी थी. शादी के पहले मुझे उनके और परिवार के बारे मे अधिक जानकारी नही थी.
सुहाग रात मे मैं उनको देखकर हैरान रह गई. वे देखने मे ही बहुत कमज़ोर दिख रहे थे. मेरी उमर उस समय सिर्फ़ १८ बरस थी. वे आते ही दरवाज़ा बंद कर लिए और मेरी बगल मे बैठ गए. वे मुझे पकड़ कर चूमा लेने लगे. कुछ् इधर उधर के बाते करने के बाद वे मेरी ब्लाउज खोल दिए. मैं ब्रा पहन रखी थी. कुछ देर उपर से ही सहालाने के बाद ब्रा भी खोल दिए. उसके बाद मेरी चुची को चूसने लगे. मुझे अब अच्छा लगने लगा था.
मैने धीरे से अपनी हाथ उनके लंड तरफ़ बढ़ाया. अभी तक कुछ भी नही हुआ था. वे अपने कपड़े खोल दिए और सहालाने के लिए बोलने लगे. मैने भी कुछ देर तक हाथ से सहलाती रही. खड़ा नही होने पर मुख मे खाने के लिए कहने लगे. क़रीब १० मिनट के बाद भी जब नही खड़ा हो पाया तो मैं निराश हो गई. उनके लंड मे नाम मात्र का ही कडापन आया था. अब वे मेरी साडी खोल दिए और अपने मुरझाए हुए लंड से मेरी बुर रगड़ने लगे. मैं तो उनके लंड के तैयार होने का इंतज़ार कर री थी. वे मेरी बुर को अब जीभ से चूसने लगे. अभी भी उनका लंड बहुत नरम था. मैं मन ही मन अपने को कोसती रही और बाप को शराप्ती रही. वे मेरी बुर चूसने मे और मैं उनका लंड चूसने मे मशगुल थी. मुझे अब सह पाना मुश्किल था. जैसा था वैसा ही मैंने उनको चोदने के लिए कहने लगी. वे अपना नरम नरम लंड मेरी गरम गरम बुर मे प्रवेश करने लगे .मगर प्रवेश करने से पहले ही वे गिर गाये.मैं तड़पती रह गई . मैं सोचने लगी कि पहले रात के चलते ऐसे होगया. मैं चुप चाप रह गई. वे भी ऐसे ही कह रहे थे.
दूसरी रात भी मैंने बहुत कोशिश की मगर सब बेकार गया. इसी तरह महीनो बीत गाये. मैं जब भी बिस्तर पर तडपती रही. मेरी बड़ी बहन जीजाजी के साथ तबादला होकर उसी शाहर मे आ गयी. एक दिन मेरी बहन मुझसे मिलने मेरी घर पर आ गई. वे मेरा हाल ख़बर पूछने लगी. मैं चुप हो गई. जब वे ज़िद करने लगी तो मुझे सबकुझ बताना ही पड़ा. वे निराश हो गई और कुछ सोचने लगी. मैंने पूछने लगी तुम कैसी हो. जीजाजी कैसे हैं. वे कह रही थी की तुम्हारे जीजाजी तो बहुत तगडे है. वे मुझे बहुत मज्जे देते हैं. मान ही मान मैं इर्ष्या करने लगी .वे बोलने लगी की मैं कल तक कुछ सोचती हू. कल १२ बजे मेरी घर आजाना. वही पैर बैठ कर बाते करेंगे. मुझे कुछ आशा दिखाई देने लगी.
सुबह होते ही मैं जल्दी जल्दी काम निपटा कर तैयार हो गाई. ठीक १२ बजे मैं दीदी के घर पहौच गई. वे मुझे देख कर मुस्कुराने लगी. वे मुझे अपने बेड रूम मे ले गई .दीदी अपने रूम मे टीवी चला रही थी. वे बोलने लगी की तुम कुछ देर तक वीडियो देखो मैं काम निपटा कर आती हूँ. एक सीडी वही पर रखा हुआ था जिसपर लिखा हुआ था हम दोनो. मैंने उसी सीडी को लगा कर देखने लगी. सीडी देखते ही मैं घबरा गई और दरवाज़े की तरफ़ देखी. दीदी बाथरूम मे थी. मुझे और अधिक देखने का इच्छा जागृत होगई. इस सीडी मे तो जीजाजी और दीदी का रंगीन खेल भरा हुआ था. जीजाजी का लंड तो देखते ही बनता था. लग रहा था की दीदी बहुत रोएगी .मगर वा तो मज़े ले रही थी. मैं सोचने लगी काश मुझे कोई ऐसे चोदने वाला मिलता.
उसी समय दीदी अंदर आगई और कहने लगी तुम को यह कैसा लग रहा है. मैंने सीडी बंद करदी. उसी समय जीजाजी भी आगये. मुझे देखते ही वे मुस्कुरा दिए. दीदी कहने लगी अरे साली तरफ़ भी तो देखो. वह बेचारी शादी होने के बाद भी कुँवारी है. दीदी कहने लगी आज तुम्हारे जीजाजी को तुम्हारे लिए ही मैंने बुलाया है . कल तुमसे मिलने के बाद मैने इनको सब कुछ बता दिया था. दीदी कहने लगी अब तुम लोग अपना काम करो मैं बाहर देखती हूँ. जीजाजी कह रहे थे तुम तो बहुत सेक्सी लगती हो. तुम्हारे स्तन तो काफ़ी बड़े है और वे दीदी के जाने के बाद बिना रूम बंद किए ही मेरी स्तन दबाने लगे.वह कह रहे थे की जब तुम्हारे दीदी ही है तो उससे छिपाना क्या. ऐसे तो साली तो आधी घर वाली होती ही हैं. लेकिन मैं तुम्हारे इच्छा के बिपरीत कुछ नही करूँगा.
मैं चुप चाप थी. मैं सोचने लगी की कही वे चले ना जाए. इससे अच्छा मौक़ा अब नही आने वाला मैं मुसकुराने लगी.जीजाजी समझ गए की मैं सहमत हू. वे अब मेरा ब्लोउज और ब्रा खोल दिए . मेरे चुचि को मसलने लगे . मैं भी अब सहयोग करने लगी थी. जीजाजी के लॅंड का उभार अब पैंट पैर दिखाई देने लगा था. मैंने उनका पैंट पैर हाथ डाला तो वे पैंट खोल दिए. अब उनका लॅंड बाहर निकल चुका था. मैं अपने हाथ से उनके लॅंड को सहालाने लगी. अपने पति का लॅंड से जीजाजी का लॅंड को तुलना कर रही थी. मन ही मन मैं सोचने लगी की मेरी दीदी कितनी लॅकी है की उसे ऐसे लॅंड वाला पति मिला है. कुच्छ देर तक मैं उनके लॅंड को देखती रही. इतने मे जीजा जी कहने लगे कैसा है मेरा हथियार. तुम्हारे पति का कैसा हैं. मैं कहने लगी, जीजाजी उनका तो खडा ही नही होता हैं. मैं महीनो से तरप रही हू. आपका लॅंड तो काफ़ी मोटा और बड़ा है. दीदी को तो बहुत दुखता होगा. उसी समय दीदी आगई. बोलने लगी अरे केवल देखते ही रहोगी.
मैं बोलने लगी दीदी इनका तो बहुत मोटा है, मैं नही सह पाऊँगी. दीदी कहने लगी हा, मोटा तो है लेकिन सहना ही पड़ेगा. पहली बार मुझे भी बहुत दर्द हुआ था. लेकिन अब तो मजा आता है. जीजाजी को दीदी कहने लग बेचारी तुम्हारा घोड़ लॅंड देख कर डर गई है. मेरे बहन को मत रूलाना. बेचारी अभी तक तो कुँवारी जैसे ही तो है.इतन कह कर वा फिर चली गई. जीजाजी अब मेरी साड़ी और पेटी कोट भी खोल दिए .वे मेरे बुर को चटने लगे. मुझे बेड पैर सूता दिए और अपना लॅंड मेरे बुर मे डाल कर चूसने के लिए कहने लगे. वे मेर उपर चढ़े हुये थे . अपनी जीभ से मेरी टिट चाट रहे थे. मुझे काफ़ी मजा आरहा था. मैंने भी दोनो हाथो से उनका सिर पाकर कर दबाने लगा. ज़ोर ज़ोर से लॅंड चूसने के लिए कह रहे थे. उनका लॅंड का स्वाद लेने मे मुझे भी मजा आरहा था.
इतने ही मे अपना पूरा लॅंड मुख मे अंदर तक धकेलने लगे. मुझे तो पहली बार इतना तगड़ा लॅंड मिला था. मैं मज़े से उनका लॅंड चुस रही थी और जीजाजी मेरे बुर चुस रहे थे. उसी समय मुख मे गरम गरम और नमकीन टेस्ट आने लगा. वे और ज़ोर से लॅंड अंदर किए. मुझे तो मजे का स्वाद आरहा था. कुछ देर तक और चूसती रही. वे बाहर लिए और बाथरूम मे चले गए. बाथ रूम से आने के बाद वे फिर मुझसे अपना लॅंड सहलवाने लगे. क़रीब ५ मिनट के बाद वे फिर तैयार होगए. जीजा जी का लॅंड फिर से पहले जैसे ही कठोर और मोटा होचुका था. इस बार वे मुझे पट सूता दिए. मेरे गाड़ मे थोडा थूक लगाए और एक अंगुली घुसा कर बाहर भीतर करने लगे. मैंने कहने लगी जीजाजी इसमे भी करोगे क्या. इसमे तो नही सहा जायगा. आज बुर मे ही कर लो. फिर कभी इसमे. जीजाजी नही माने और कहने लगे गाड़ लिए बिना मैं तुम्हारा बुर नही लूंगा. अगर मेरा शर्त मंज़ूर है तो बोलो नही तो छोड़ देता हूँ. मुझे तो आज चुदाई का भरपूर मजा लेना था. मैं चुप रही. मैं मुसकूरा दी और कहने लगी आप बहुत बदमश हो, आज मैं सब कुछ सहने को तैयार हूँ. जीजाजी

मेरी कहानी

जब मैं दरवाजा बंद कर भाभी के पास गया तो भाभी ने मुझे अपने पास बुला लिया मैने देखा भाभी ने अपना ब्लाउज़ और ब्रा नहीं पहने हुए हैं, उनके गोरे-गोरे मम्मे ठीक निम्बु के आकार के हैं मैने भाभी से कहा इतने छोटे मम्मे में तो दूध ज्यादा नहीं होता होगा और छोटू का पेट भी नहीं भरता होगा? तो उन्होनें कहा नहीं ऐसी बात नहीं है मुझे यकीन ही नहीं आ रहा था तो उन्होनें कहा लो चेक कर लो, वो वहीं बेड पर लेट गई मैं उनके पास बेड पर झुक कर उनका दूध पीने लगा। ओह! उनका दूध तो वाकई मीठा था और दूध भी तेजी से निकल रहा था। भाभी के निप्पले भी तन गये थे अब मुझे अच्छा लग रहा था मैं भाभी के मम्मे तेजी से दबाने लगा भाभी भी आंख बंद कर न जाने क्या सोच रही थी, अब मैं भाभी से पूरी तरह सट गया और मेरे होंठ भाभी के होंठों से जुड़ गये, ये मुझे तब पता चला जब भाभी मुझे हटाते हुए अपने कपड़े ठीक करने लगी तभी मुझे छोटू के रोने की आवाज सुनाई दी। भाभी ने छोटू को उठा कर अपनी गोदी में ले लिया, हम वहीं बिस्तर पे बैठ कर बातें करने लगे, पता नहीं क्यों आज मुझे घर जाने का मन नहीं कर रहा था, तब भाभी ने कहा अब तुम जाओ अभी भैया आ जायेंगे, तुम कल जल्दी आना और ये सब तुम किसी से नहीं बताना।
दूसरे दिन मैं भाभी के घर गया तो भाभी ने मुस्करा कर कहा आज तो बहुत जल्दी आ गये अभी तो मैं नहाई ही नहीं हूं तो मैने कहा कोई बात नहीं मैं यहीं बैठ जाता हूं आप नहा लो। भाभी बेडरूम जा कर अपने बाथ रूम में नहाने लगी तभी छोटू के रोने की आवाज आई मैं भी बेडरूम में जा कर छोटू को थपकी देने लगा तभी भाभी नहा कर केवल टोवल लपेट कर बाहर आई और मुझे देख कर बोली मैने तो तुम्हे बाहर बैठने के लिये कहा था तो मैने कहा छोटू रो रहा था। भाभी ने मेरे सामने ही अपना गाउन पहन लिया अब हम दोनो बेड पर बैठ कर बातें करने लगे, क्योंकि हल्की ठंड लग रही थी इसलिये हम लोगो ने कम्बल ओढ रखा था सामने टीवी चल रहा था
बात करते करते हम दोनो एक दूसरे से सट गये थे और अचानक भाभी ने कहा तुमने कभी किसी को नंगी देखा है तो मैने कहा कि आप नाराज तो नहीं होगी तो उन्होनें कहा नहीं, तो मैने कहा रात में जब आप और भैया नंगे सोते हो तो मैने आप दोनो को देखा है तब भाभी ने कहा कि तुम तो अपने घर रहते हो तब कैसे देखते हो तो मैने कहा कि जब मैं छत पर जाता हूं तो अपके बेडरूम की खिड़की से सब कुछ दिखता है भाभी ने कहा तुम बहुत बदमाश हो, अब से हम अपनी खिड़की बंद रखेंगे भाभी से मैने कहा कि ऐसा मत करना।
टीवी पर कोई रोमांस सीन चल रहा था मैं भाभी से और सट गया और भाभी से बोला मुझे आपका दूध पीना है भाभी की सांसे गरम हो गई थी भाभी ने अपना गाउन के बटन खोल दिये और कम्बल के अन्दर मेरे पैंट को खोलने लगी, उनकी चूंचियां अब तन गई थी मेरे हाथ उनके गाउन के नीचे कुछ छूने का प्रयास करने लगे अब हम पूरी तरह से खुल चुके थे।
भाभी ने मेरे पैंट के अन्दर हाथ डाल दिया था मेरा औजार बुरी तरह तन गया था, जब मैने भाभी की चूत पर हाथ रखा तो मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गयी अब हम एक दूसरे को पूरी तरह महसूस कर रहे थे। तभी भाभी ने कहा चलो अब मैं तुम्हे बताती हूं कि मजा कैसे लिया जाता है। हम दोनो ने अक दूसरे के कपड़े उतार दिए, मैं तो एक टक भाभी को देखने लगा भाभी ने कहा ऐसे मत देखो मुझे शरम आ रही है।
भाभी की चूत पर एक भी बाल नहीं था भाभी ने मुझे लिटा कर मेरे औजार को धीरे धीरे सहलाना शुरु किया, मैं भाभी की छोटी चूंचियों को मसल रहा था भाभी का बदन ऐंठता जा रहा था काफ़ी देर तक ये सब करने के बाद भाभी ने मेरे औजार को चूमते हुए कहा ये तो बहुत ही प्यारा सा है मैं इसे अब वो सारी तरकीबें सिखाउंगी जिससे तुम जिंदगी को जीना सीख जाओगे। मैने भाभी से कहा भाभी मैं भी आपकी चूत की चुम्मी लूंगा भाभी ने कहा ठीक है मैं लेट जाती हूं मैने भाभी की चूत की चुम्मी ली और अपने जीभ के आगे की नोक से अन्दर जाने की कोशिश करने लगा लेकिन शायद भाभी को बहुत एक्साइटमेंट लग रहा था इस लिए उसने मेरे सिर को हटा दिया। अब हम दोनो बैठ गये मैं उनके गोद में लेट गया भाभी मेरे होंठों पर अपनी उंगलियां फ़िरा रही थी मैने उसकी एक उंगली अपने मुंह में डाल कर चूसने लगा भाभी अपनी आंखों को बंद रखे हुए थी अचानक फोन की घंटी बजी मेरे घर से फोन था मुझे तुरन्त ही जाना पड़ा मैने भाभी की एक चुम्मी ले कर जाने लगा तो भाभी ने कहा कल फिर मिलेंगे।

मौसी की फूली हुई चूत

बात उस समय की है जब मैं २४ साल का था। मैं अपनी मौसी के लड़के की शादी में गया था वहां पर मेरे दूर के रिश्ते की मौसी आयी हुई थी बहुत ही खूबसूरत थी वो। उनके बूब्स काफ़ी बड़े थे। वो मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। काले रंग के ब्लाउज़ से उनकी चूची बाहर आ रही थी। मैं उनके भरे हुए शरीर से खेलना चाहता था। उनके हाव भाव से लग रहा था कि वो भी मेरी तरफ़ अकार्षित हो रहीं थी। खैर आप लोगों को ज्यादा बोर नहीं करूंगा और मैं आगे कहानी बताता हूं। बारात में सभी लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे। सरदी की रात थी सभी लोग एक साथ लेटे हुए थे, ज्यादा खाट न होने के कारण सभी लोग जमीन पर लेटे हुए थे मैं भी एक उचित स्थान देखकेर लेट गया मेरे बगल में वहीं दूर के रिश्ते की मौसी लेटी हुई थीं मैने उस समय तो ध्यान नहीं दिया पेर रात में जब मैं पेशाब के लिये उठा तो उनकी साड़ी और पेटीकोट उनके घुटनो के ऊपर चढ़ गया था उनकी चिकनी जांघें शीशे की तरह चमक रही थी। मुझसे रहा नहीं गया मैने धीरे से उनकी जांघों पर हाथ रखा उन्होने कुछ नही कहा मेरी हिम्मत और बढ़ी मैने उनकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर खिसका दिया चूंकि कमरे में अंधेरा था इसलिये मेरी इस हरकत का किसी को पता नहीं चल पा रहा था।
मुझे ऐसा लग रहा था कि वो भी मेरी इस हरकत का मजा ले रही हैं। मैने उनकी साड़ी और पेटीकोट उनकी कमर तक खिसका दिया। ओह माई गोड उनकी होंठों तक फूली हुई बुर मेरे हाथों में थी उनकी बुर से थोड़ा थोड़ा पानी निकल रहा था मैने उनकी शेव्ड बुर पर हाथ फेरना चालू कर दिया उन्होने कुछ नहीं कहा बल्कि वो सीधी लेट गई जिससे उनकी बुर पूरी तरह से खुल कर मेरे सामने आ गई मैने उनकी जांघों को चूमते हुए उनकी गरम बुर पर अपने होंथ लगा दिये वो अब तड़प उठीं उन्होने धीरे धीरे आवाज़ निकालना चालु कर दिया था वो मेरे सर को सहला रही थी मैने जी भरकर उनको बुर को चाटा और अपनी जीभ से चोदा वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा सहयोग कर रही थी। उनकी बुर से नमकीन पानी निकल रहा था वो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैने करीब आधे घंटे उनकी बुर को चाटा बाद में उनकी चुदाई कैसे की ये मैं अगले पार्ट में लिखुंगा मेरी कहानी कैसी लगी जरूर लिखना।

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ये मेरी पहली कहानी है। ये कहानी तकरीबन १ साल पहले की है। मेरी पड़ोस में एक लड़की रहती थी उसका नाम लीला था वो मुझसे ४ -५ साल बड़ी थी। मैं एक दिन अपने घर पे अकेला था और उसके घर में भी कोई नहीं था। हम दोनो का घर एक दम पास में ही था दोनो के बीच में एक ही दीवाल थी। दोपहर के १२ बजे होंगे। मैं अपने घर में सो रहा था। उसने मुझे अपने घर में बुलाया और कहा। मैं गया तो वो बोली तुम यहां बैठो। मैने पूछा क्या काम हे वो बोली तुम्हारे घर वालो ने मुझे बोला था कि मैं तुम को दोपहर में अपने घर पे रखूं । मेरे घर वाले लोग शादी में जाने की वजह से २-३ दिन तक घर आने वाले नहीं थे तो तुम्हारी जिम्मेदारी मुझे सौंप कर गये है।
मैं इस वक्त सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं जानता था उसने मुझे सोने को कहा लेकिन मैने सोने से इन्कार कर दिया और टीवी देखने लगा वो थोड़ी देर बाद बोली "मैं नहाने के लिये जा रही हूं अगर तुम्हे कुछ चाहिये तो मुझे बताना और अगर सोना हो तो सो सो जाना। मैने बोला "ठीक है"। अब वो नहाने के लिये जा चुकी थी। थोड़ी देर बाद उसने मुझे बुलाया बोली राकेश ज़रा मेरी पीठ तो मल दो मैं छोटा होने की वजह से इन सब के बारे मैं कुछ नहीं जानता था। उसने थोड़ी देर बाद मुझसे कहा तुम भी अपने कपड़े निकाल दो मैं बोला मैं सुबह नहाया था। वो बोली "फ़िर से" मैं बोला नहीं तो उसने मेरे को पकड़ कर ज़बरदस्ती मेरे कपड़े निकाल दिये और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी थोड़ी देर तो मैं मना करता रहा मगर अब मुझे भी सब अच्छा लगने लगा था।
उसने अब मुझे बाहर ले जाकर बिस्तर पर लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे लंड को अपने मुंह में अन्दर बाहर करने लगी, मैं अब छूटने की तैयारी में था। थोड़ी देर बाद मैं जड़ गया। मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये मेरे लंड से क्या बह रहा है। अब उसने मुझे अपने ऊपर बुलाया और कहा कि तुम करो। लेकिन वो मुझे क्या करने को कह रही थी ये मैं समझ नहीं पा रहा था। उसने कहा अपना लंड मेरी चूत में घुसाओ लेकिन मैं वो समझ नहीं पाया।